Saturday, July 29, 2017

रायपुर - स्मृतियों के झरोखे से : 1 - प्रभाकर चौबे


  रायपुर शहर एक छोटे से कस्बे से धीरे धीरे आज छत्तीसगढ़ की राजधानी के रूप में लगातार विकसित हो रहा है । इत्तेफाक ये भी है कि इस वर्ष हम अपने नगर की पालिका का 150 वॉ वर्ष भी मना रहे हैं ।
  हमारी पीढ़ी अपने शहर के पुराने दौर के बारे में लगभग अनभिज्ञ से हैं । वो दौर वो ज़माना जानने की उत्सुकता और या कहें नॉस्टेलजिया सा सभी को है । कुछ कुछ इधर उधर पढ़ने को मिल जाता है । सबसे दुखद यह है कि कुछ भी मुकम्मल तौर पर नहीं मिलता । 
    बड़े बुज़ुर्गों की यादों में एक अलग सा सुकून भरा वो कस्बा ए रायपुर  अभी भी जिंदा है । ज़रा सा छेड़ो तो यादों के झरोखे खुल जाते हैं और वे उन झरोखों से अपनी बीते हुए दिनों में घूमने निकल पड़ते हैं । इस यात्रा में हम आप भी उनके सहयात्री बनकर उस गुज़रे जमाने की सैर कर सकते हैं।
   इसी बात को ध्यान में रखकर हम अपने शहर रायपुर को अपने बुज़ुर्गों की यादों के झरोखे से जानने का प्रयास कर रहे हैं । इस महती काम के लिए छत्तीसगढ़ के वरिष्ठ साहित्यकार श्री प्रभाकर चौबे अपनी यादों को हमारे साथ साझा करने राजी हुए हैं । वे  रायपुर से जुड़ी अपनी   स्मृतियों को साझा कर रहे हैं । इसकी शुरुवात हम 31 जुलाई से  करने जा रहे हैं । 
    एक बात स्पष्ट करना जरूरी है कि ये कोई रायपुर का अकादमिक इतिहास नहीं है , ये स्मृतियां हैं । जैसा श्री प्रभाकर चौबे जी ने रायपुर को जिया । एक जिंदा शहर में गुज़रे वो दिन और उन दिनों से जुड़े कुछ लोग, घटनाएं, भूगोल, समाज व कुछ कुछ राजनीति की यादें ।  और इस तरह गुजश्ता ज़माने की  यादगार तस्वीरें जो शायद हमें हमारे अतीत का अहसास कराए और वर्तमान को बेहतर बनाने में कुछ मदद कर सके ।
   आपकी प्रतिक्रियाओं और सुझावों का भी स्वागत रहेगा।

जीवेश प्रभाकर

सबसे पहले
अपनी बात

मन हुआ रायपुर पर लिखा जाए - बहुत पहले देशबन्धु का साप्ताहिक संस्करण भोपाल से प्रकाशित हो रहा था तब 12 कड़ियों में रायपुर पर लिखा था, खो गया । पुन: कोशिश कर रहा हूँ - इसमें कुछ छूट रहा हो तो पाठक जोड़ने का काम कर सकते हैं । रायपुर के बारे में  एक जगह जानकारी देने का मन है - 
अपना रायपुर पहले क्या कैसा रहा ...                               -प्रभाकर चौबे
कल से जारी------


1 comment:

  1. काफी महत्वपूर्ण जानकारी मिल रही है| निरंतरता भी बनी हुई है| बधाई हो गुरुदेव|

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